How to Prepare for Bhai Dooj 2024 : A Step-by-Step Guide

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Bhai Dooj: भाई दूज एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जिसे विक्रम संवत के अनुसार शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस पर मनाया जाता है।

यह त्योहार दिवाली के अवसर पर पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। वर्ष 2024 में यह त्योहार 3 नवंबर, रविवार को मनाया जाएगा।

Bhai Dooj 2024 का उत्सव रक्षा बंधन के त्योहार के समान है। बहनें अपने भाइयों को विशेष भोजन के लिए आमंत्रित करती हैं। यह त्योहार भाई की ओर से अपनी बहन की सुरक्षा की प्रतिज्ञा को दर्शाता है, जबकि बहन अपने भाई के सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है।

भाई दूज पूजा की विधि

Bhai Dooj के अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में जागकर स्नान और ध्यान करना चाहिए। इसके बाद घर के मंदिर में घी का दीप जलाकर ईश्वर की आराधना करें। इस दिन यमराज, यमुना, भगवान गणेश और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। पिसे चावल से चौक बनाने की परंपरा भी इस दिन निभाई जाती है। इसके बाद बहनें अपने भाई को तिलक करें और आरती करें। आरती के बाद भाई के हाथ में कलावा बांधकर मिठाई खिलाएं। इसके बाद बहनें भाई को नारियल दें और फिर भाई को भोजन कराएं। भोजन के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार दें और उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें

  • तिलक को सही दिशा में बैठकर करना चाहिए। बहनें पूर्व दिशा की ओर और भाई उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • भाई की स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुखद जीवन के लिए एक हरे रंग का रूमाल या वस्त्र लें।
  • इसमें तीन मुठ्ठी हरे साबुत मूंग, एक इलायची, एक लौंग, पांच गोमती चक्र और थोड़ी दूर्वा डालकर तीन गांठ बांध दें। फिर इसे अपने भाई के ऊपर से सात बार उसारें
  • उसारने के बाद इसे अपने घर के ईशान कोण में रखकर उसके समक्ष गंगा को यमुना, यमराज को यमी और कृष्ण को सुभद्रा के रूप में पूजें। इस मंत्र का 11 या 21 बार जाप करें: “ज्यों-ज्यों गंगा यमुना नीर बहे, मेरे भाई की आयु बढ़े, फले-फुलें।”
  • अब निवेदन करें कि मेरे भाई को सभी प्रकार के दुखों से मुक्त करके सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करें। इस प्रार्थना के बाद उस पोटली को पीपल के पेड़ में डाल दें।
  • कृपया आज के दिन बहन या भाई काले वस्त्र न पहनें। भाई को तिलक करने से पहले बहनें अन्न का सेवन न करें, बल्कि तिलक के बाद एक साथ बैठकर भोजन करें।
  • Bhai Dooj के अवसर पर यदि बहनें अपने भाई की राशि के अनुसार तिलक करें, तो यह अधिक शुभ फलदायी होगा


Bhai Dooj का इतिहास और इसकी उत्पत्ति कई किंवदंतियों और पौराणिक कथाओं में समाहित है। एक प्रसिद्ध कथा भगवान कृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा से संबंधित है। इस कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलने का निर्णय लिया। सुभद्रा ने उनका स्वागत आरती के साथ किया, उनके माथे पर तिलक किया और उन्हें मिठाई दी। इसके बदले में, कृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनकी रक्षा का वचन दिया, जिसने इस त्योहार की नींव रखी

Bhai Dooj : इतिहास, महत्व, परंपराएं

कथा मृत्यु के देवता यम और उनकी बहन यमुना (यमी) से संबंधित है। कहा जाता है कि इस दिन यम अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे, और यमुना ने उनका स्वागत आरती और तिलक करके किया। यम अपनी बहन के प्रेम से इतने खुश हुए कि उन्होंने यह घोषणा की कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसे लंबी और समृद्ध जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होगा। इसी कारण इस दिन को “यम द्वितीया” के नाम से जाना जाता है।

ये कहानियाँ मिलकर त्योहार के महत्व को दर्शाती हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य भाई-बहन के रिश्ते को सम्मानित करना और उसे और भी मजबूत बनाना है।

भाई दूज एक ऐसा पर्व है, जो भाई-बहनों के बीच प्रेम और जिम्मेदारी का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की खुशहाली और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों की सुरक्षा और देखभाल का वचन देते हैं।

Bhai Dooj के अवसर पर पूजा की थाली

Bhai Dooj के अवसर पर सभी बहनें अपने सभी कार्यों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद पूजा की थाली तैयार करें, जिसमें रोली, चावल, मिठाई, नारियल, घी का दीपक और सिर ढकने के लिए रूमाल शामिल करें। साथ ही, घर के आंगन में आटे या चावल से एक चौकोर आकृति बनाएं और उसके चारों कोनों पर गोबर से छोटे उपले रखें। पूजा की थाली को भी पास में रख लें। अब भाई को उस आकृति के पास आसन पर बिठाएं और उनसे कहें कि वे अपने सिर को रूमाल से ढक लें। दीपक जलाएं और भाई दूज की कथा सुनें।

Bhai Dooj

इसके बाद भाई के माथे पर रोली और चावल का टीका लगाएं और उन्हें मिठाई खिलाएं। साथ ही, भाई को नारियल भी दें। अंत में, भाई अपनी बहन को उपहार स्वरूप कुछ अवश्य दें, जिससे भाई-बहन के बीच प्रेम और सम्मान में वृद्धि होती है।

भाई दूज का त्योहार पूरे देश में पारंपरिक रूप से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए चावल के आटे से आसन तैयार करती हैं। जब भाई उस आसन पर बैठता है, तो उसके माथे पर धार्मिक टीका के रूप में सिंदूर, दही और चावल का मिश्रण लगाया जाता है।

इसके बाद बहन भाई की हथेली में कद्दू का फूल, पान, सुपारी और सिक्के रखकर मंत्रों का उच्चारण करते हुए उस पर जल डालती है। इसके बाद भाई की कलाई पर कलावा बांधा जाता है और आरती की जाती है। अंत में, एक-दूसरे को उपहार देने और बड़ों का आशीर्वाद लेने की रस्म होती है।

Bhai Dooj एक वैकल्पिक अवकाश

भारत में श्रम और अवकाश कानून कर्मचारियों को वैकल्पिक छुट्टियों की एक निश्चित सूची में से कुछ छुट्टियों का चयन करने की अनुमति देते हैं। कुछ कर्मचारी इस दिन छुट्टी लेने का निर्णय ले सकते हैं, लेकिन अधिकांश कार्यालय और व्यवसाय इस दिन भी खुले रहते हैं।

व्यक्ति कुछ निश्चित संख्या में छुट्टियां ले सकते हैं, जबकि सरकारी कार्यालय और अधिकांश व्यवसाय सामान्य रूप से कार्यरत रहते हैं। यह व्यवस्था लोगों को भारत के विविध धार्मिक और सांस्कृतिक समाज में Bhai Dooj छुट्टियां मनाने का अवसर प्रदान करती है।

Bhai Dooj के बारे में


Bhai Dooj एक विशेष पर्व है जो भाई-बहन के रिश्ते की गहराई को दर्शाता है। भाई और बहन के बीच एक अनूठा बंधन होता है, जिसमें वे एक-दूसरे के सबसे करीबी साथी, रक्षक, प्रशंसक और गुप्त सहयोगी होते हैं

भाई-बहन के बीच की भावनाओं को समझना कभी-कभी कठिन हो सकता है, लेकिन कुछ खास अवसर होते हैं जो इस रिश्ते को और मजबूत बनाते हैं। भाई दूज ऐसा ही एक अवसर है, जो भाई-बहनों के बीच के अटूट प्रेम को उजागर करता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं। यह पर्व दिवाली के बाद मनाया जाता है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आता है

Bhai Dooj के त्योहार की उत्पत्ति से जुड़ी कुछ हिंदू पौराणिक कथाएँ हैं। एक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलने का निर्णय लिया। सुभद्रा ने अपने भाई का गर्मजोशी से स्वागत किया और इस अवसर को खास बनाने के लिए फूलों और मिठाइयों से सजाया। उन्होंने अपने भाई कृष्ण के माथे पर औपचारिक “तिलक” भी किया, जिससे “भाई दूज” का त्योहार प्रारंभ हुआ। भाई दूज हिंदी में, विकिपीडिया

एक अन्य कथा यमराज और उनकी बहन यमुना के संबंध में है। ऐसा माना जाता है कि यमराज ने अपनी बहन से अमावस्या के दूसरे दिन द्वितीया को मुलाकात की, और इसी कारण से इस दिन को पूरे देश में “यमद्वितीय” या “यमद्वितीया” के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई।

Bhai Dooj इस त्योहार का एक विशेष अर्थ भी है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है – “भाई” जिसका अर्थ है भाई और “दूज” जिसका अर्थ है अमावस्या।

Bhai Dooj :FAQ

भाई दूज किस लिए मनाया जाता है?

Bhai Dooj एक ऐसा दिन है जो बहन और भाई के पवित्र रिश्ते का जश्न मनाता है। यह दिवाली के उत्सवों के बाद मनाया जाता है। इस दिन, बहनें शुभ टीका समारोह करती हैं और अपने प्रिय भाइयों के लिए लंबी, समृद्ध और खुशहाल जिंदगी की कामना करती हैं।

भाई बीज का क्या अर्थ है?

Bhai Dooj, जिसे भाई फोटा भी कहा जाता है, एक हिंदू त्योहार है जो भारत में भाई-बहन के रिश्ते को सम्मानित करता है। यह त्योहार हिंदू महीने कार्तिक की शुक्ल पक्ष की दूसरी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर दीपावली के दो दिन बाद आता है।

भाई दूज की विशेष कहानी क्या है?

भगवान कृष्ण ने दुष्ट राक्षस नरकासुर का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्र से मिलने का निर्णय लिया। सुभद्र ने उनका स्वागत मिठाइयों और फूलों के साथ किया। उन्होंने प्रेमपूर्वक कृष्ण के माथे पर तिलक भी लगाया। कुछ लोग इसे इस त्योहार की उत्पत्ति मानते हैं।

भाई दूज और रक्षा बंधन में क्या अंतर है?

राखी बांधने का अर्थ है भाई का अपनी बहन को सभी बुराइयों से बचाने और उसकी रक्षा करने का वादा करना। वहीं, भाई दूज पर भाई के माथे पर तिलक करते हुए बहन अपने भाई की हर कीमत पर रक्षा करने की प्रतिज्ञा करती है।

भाई दूज पर क्या खाया जाता है?

Bhai Dooj परिवार के पुनर्मिलन का समय होता है, जब परिवार के सभी भाई-बहन एकत्र होते हैं। कई परिवारों में निकटतम रिश्तेदारों और दोस्तों को भी भाई दूज मनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इस त्योहार के लिए विशेष व्यंजनों में महाराष्ट्र की मिठाई जैसे बसुंदी पूरी या खीरनी पूरी शामिल होती है।

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